समाज निस्वार्थ सेवा ही असली सेवा है July 30, 2010 / December 22, 2011 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 4 Comments on निस्वार्थ सेवा ही असली सेवा है – डॉ0 कुलदीप चंद अग्निहोत्री मध्यकालीन भारतीय दश गुरु परम्परा के आठवें गुरु श्री हरकिशन जी के जीवन का एक प्रसंग है। उनके जीवन काल में प्लेग का प्रकोप हुआ था। प्लेग अपने आप में भयावह बीमारी है और उन दिनों तो प्लेग को मृत्यु का पर्यायवाची ही माना जाता था। लोग अपने घर बार […] Read more » Selfless Service निस्वार्थ सेवा