समाज सेक्स चर्चा (भाग-४) September 25, 2009 / December 26, 2011 by जयराम 'विप्लव' | 2 Comments on सेक्स चर्चा (भाग-४) पिछले दिनों कई पोस्ट में मैंने सेक्स और समाज को मुद्दा बना लिखा .आम तौर पर लोगों ने मज़े लेने के लिए पढ़े और वाहवाही कर चलते बने . हाँ कुछेक साथियों ने बहस में भाग लेने की कोशिश जरुर की जो कामयाब न हो पाई . सेक्स की बात सुन कर हम मन ही मन रोमांचित होते हैं .जब भी मौका हो सेक्स की चर्चा में शामिल होने से नहीं चूकते .इंटरनेट पर सबसे अधिक सेक्स को हीं सर्च करते हैं . Read more » Osho Sex and Society Sex in Indian Philosophy Sex in Life Spritualism Vatsyayan Kamsutra सेक्स सेक्स चर्चा
धर्म-अध्यात्म समाज सेक्स चर्चा (भाग -3) September 18, 2009 / December 26, 2011 by जयराम 'विप्लव' | 11 Comments on सेक्स चर्चा (भाग -3) हम जीवन के मूल तत्व ' काम ' अर्थात 'सेक्स' के ऊपर विभिन्न विचारकों और अपने विचार को आपके समक्ष रखेंगे . काम का जीवन में क्या उपयोगिता है ? सेक्स जिसे हमने बेहद जटिल ,रहस्यमयी ,घृणात्मक बना रखा है उसकी बात करने से हमें घबराहट क्यों होती है ? क्यों हमारा मन सेक्स में चौबीस घंटे लिप्त रहने के बाद भी उससे बचने का दिखावा करता है Read more » Osho Sex and Society Sex in Indian Philosophy Sex in Life Spritualism Vatsyayan Kamsutra सेक्स चर्चा
समाज सेक्स चर्चा (भाग -२) July 4, 2009 / October 10, 2009 by जयराम 'विप्लव' | 6 Comments on सेक्स चर्चा (भाग -२) सेक्स और समाज का सम्बन्ध ऐसा बन गया है जैसे समाज का काम सेक्स पर पहरा देने का है , सेक्स को मानव से दूर रखने का है . क्या वास्तव में समाज में सेक्स के लिए घृणा का भाव है ? क्या समाज आरम्भ से ऐसा था ? नहीं , ऐसा नहीं है . Read more » Sex and Society Sex in Indian Philosophy Sex in Life Spritualism Vatsyayan Kamsutra जयराम "विप्लव" सेक्स चर्चा