कविता झूठ बोलते बोलते,सच को झुठलाते गये June 27, 2019 / June 27, 2019 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on झूठ बोलते बोलते,सच को झुठलाते गये झूठ बोलते बोलते,सच को झुठलाते गये |क्योकि लोगो की जवां पर ताले पड गये || थक गये राहो में,चलना है मुश्किल |क्योकि उनके पाँवो में छाले पड़ गये || कर लेते हम प्यार,करना है मुश्किल |क्योकि लोगो के दिल काले पड गये || दूभर है जिन्दगी,काटना है मुश्किल |क्योकि शुद्ध हवा के लाले पड गये […] Read more » lying Speaking truth
विविधा बोले जाने पर बोला जाना चाहिये June 7, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -अखतर अली इन दिनों जितना बोला जा रहा है उतना शायद बोले जाने के इतिहास में और कभी नहीं बोला गया होगा। कौन बोल रहा है, क्यों बोल रहा है, क्या बोल रहा है, ये कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। बोला जाना चीखे जाने मे तब्दील हो चुका है। लोग माईक में चिल्ला […] Read more » Speaking बोलना