कविता पालघर की धरती पर, संतो के शव बिखरें हैं। April 26, 2020 / April 26, 2020 by सुधीर मौर्य | Leave a Comment निर्दोषों को चोर बताकरचोरों ने मारामारी कीपुलिस मूक हो खड़ी रहीबनकर छवि हत्यारी कीसंतो के करुण क्रंदन पेवो अट्ठाहस कर बिफरें हैंपालघर की धरती परसंतो के शव बिखरें हैं। मद मे इतराना बलखानासब ईश्वर ने ये देखा हैजो भी अत्याचार कियेउन सबका बही मे लेखा हैअसतित्व मिटाने पापों कायम तुम पर अब उतरे हैंपालघर की […] Read more » On the land of Palghar the bodies of saints are scattered. पालघर की धरती पर संतो के शव बिखरें हैं