कविता हम जो छले, छलते ही गये January 25, 2024 / January 25, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment 15 अगस्त की वह सुबह तो आयी थीजब विदेशी आक्रांताओं से हमेंशेष भारत की बागड़ोर मिलीहम गुलाम थे, आजाद हुयेआजादी के समय भी हम छले गये थेआज भी हम अपनों के हाथों छले जा रहे है।भले आज हम आजादी में साँसे ले रहे हैपर यह कैसी आधी अधूरी आजादी ?पहले अंगे्रेजों के जड़ाऊ महल बनाते […] Read more » We who were deceived continued to be deceived.