कविता रावण कौरव कंश कीचक जयद्रथ क्यों बनते हो? December 3, 2021 / December 3, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहर कोई अपनी वजह से परेशान होते,सब अपने ही कर्म का अंजाम भोगते,कोई पूज्य या घृणित होते स्वभाव से,सुख-दुख का कारण मानव स्वयं होते! धनकुबेर तो धन के स्वामी थे तब भी,जब सोने की लंका उनसे छिन गई थी,स्वर्ण नगरी का स्वामित्व बदला किन्तुनए-पुराने मालिक की हस्ती कहां बदली? रावण लेकर लंका धनकुबेर […] Read more » Why do you become Ravana Kaurava Kansh Keechak Jayadratha?