चिंतन जन-जागरण विडंबनाओं के देश में स्त्री-सुरक्षा.. January 2, 2013 by अरुण कान्त शुक्ला | 1 Comment on विडंबनाओं के देश में स्त्री-सुरक्षा.. अरुण कान्त शुक्ला दुनिया के किसी भी देश में रहने वाले इतनी विडंबनाओं के साथ नहीं जीते, जितनी विडंबनाओं के साथ हमें भारत में जीना पड़ता है। धर्म, सम्प्रदाय और राजनीति से परे हम भारतीयों में यदि कोई एकरूपता है, तो वह है, भारतीयों की सोच और कथनी, कथनी और करनी में मौजूद पाखंड। भारतीय […] Read more » women safety