धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-१३ March 2, 2015 / March 2, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment कंस एक क्रूर अधिनायक था। पर साथ ही चतुर और धूर्त राजनीतिज्ञ भी था। मथुरा का वह राजा बन ही गया था। वहां की प्रजा, ऐसा प्रतीत होता था कि एक सांस लेने के बाद दूसरी सांस लेने के लिए कंस की आज्ञा की प्रतीक्षा करती थी। परन्तु उसने अन्य गणराज्यों की शासन-व्यवस्था में सीधे […] Read more » yashodanandan यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-८ February 24, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment कंस वापस अपने राजप्रासाद में आ तो गया परन्तु भगवान के प्रति शत्रुता के सागर में निमग्न वह बैठे-सोते, चलते-फिरते, भोजन करते, काम करते – जीवन की सभी अवस्थाओं में भगवान विष्णु का ही चिन्तन करने लगा। वह जितना ही इस चिन्तन से बाहर निकलने का प्रयास करता, उतना ही अनायास गहरे में डूब […] Read more » yashodanandan यशोदानंदन यशोदानंदन-८