व्यंग्य जिया जले, जाँ जले ! April 13, 2018 by देवेंद्रराज सुथार | Leave a Comment देवेंद्रराज सुथार अब तो न दिन को चैन आता है और न ही रात को नींद आती है। इस आलम में कुछ नहीं भाता है और न ही कोई ख्याल आता है। जिया जलता है। जाँ जलती है। नैनों तले धुआँ चलता है। रुक जाइए ! यदि आप मुझे प्रेमी समझने की भूल कर रहे […] Read more » Featured आमीर इंसान ऐसी गरीब गर्मी जानवर ठंड सर्दी