कविता एंड्रीनी रिच की चार कविताएं November 2, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment 1. जीत भीतरी तहों में कुछ पसर रहा है, हमसे अनकहा त्वचा के अंदर भी उसकी उपस्थिति अघोषित है जीवन के समस्त रूप-प्रत्यय नाटकीय स्वार्थों की सघन झाड़ियों में उलझे मशीनी देवताओं से संवाद नहीं करना चाहते, स्पष्टत: कटे-छँटे शरणार्थी प्राचीन या अनित्य ग्रामों से हमारे अवसरवादी चाहनाओं में फँसे पगलाकर ढूँढ़ रहे हैं एक […] Read more » poem एंड्रीनी रिच