कविता चलो एक नई उम्मीद बन जाऊँ… March 8, 2021 / March 8, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment चलो एक नई उम्मीद बन जाऊँ!बसंत सा बन मैं भी खिल जाऊँ!! प्रकृति का नव रूप मैं हो जाऊँ!गुनगुनी धूप सा मैं खिल जाऊँ!! अमलताश सा मैं यूँ बिछ जाऊँ!अमराइयों में मैं खुद खो जाऊँ!! धानी परिधानों की चुनर बन जाऊँ!खेतों में पीली सरसों बन इठलाऊं!! मकरंद सा कलियों से लिपट जाऊँ!बसंत के स्वागत का […] Read more » एक नई उम्मीद