व्यंग्य अंकल कम्यूनलिज्म February 13, 2020 / February 13, 2020 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगे अजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे” पोस्ट ट्रुथ के बाद ये फिलहॉल एक नया फैंसी शब्द है जो अपने को डिफेंड करते हुए […] Read more » communalism कम्यूनलिज्म