कविता कविता ; अश्क बनकर वही बरसता है – श्यामल सुमन March 7, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment नहीं जज्बात दिल में कम होंगे तेरे पीछे मेरे कदम होंगे तुम सलामत रहो कयामत तक ये है मुमकिन कि हम नहीं होंगे प्यार जिसको भी किया छूट गया बन के अपना ही कोई लूट गया दिलों को जोड़ने की कोशिश में दिल भी शीशे की तरह टूट गया यार मिलने को जब […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता ; अश्क बनकर वही बरसता है