कविता कविता – हम कैसे बता दें January 6, 2013 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल हम यह भी नहीं बता सकते कितने कंकड़-पत्थर हर अफरा-तफरी में महाद्वीप में तब्दील हो जाते हैं । कब से मंच के पीछे खड़े एक अदृश्य हाथ समय के धागे को पकड़कर हर उस रेत को पाटता रहा है नदी के दोनों छोरों में लगता है हमने इस विषय को विस्मृत होते संस्कार […] Read more » poem by motilal कविता - हम कैसे बता दें