कविता कुक्कुरमुत्तों की कविता September 28, 2014 by डॉ. मधुसूदन | Leave a Comment डॉ. मधुसूदन सूचना: यह व्यंग्यात्मक रचनाहै। मनोरंजन के लिए।इसी अर्थ में उसका स्वीकार करें। १ टेढी पूँछ,एक कुक्कुरवो, ऊंची पिछली टाँग कियो; मसरुमवा सिंचित हुआ सारा, सो कुक्कुरमुत्ता कहलाया। २ दीक्सित हुयी सारी सैना, सीतल सिंचित धारासै। कुक्कुरमुत्ते बहर आयै हैं, टोपी झाडू सज धज कै। ३ अक्रमण्यता अदिकार, इनको किस्ना गीता में बोल्ल्यो है। […] Read more » कुक्कुरमुत्तों की कविता