आलोचना मैत्रेयी पुष्पा के बहाने स्त्री आत्मकथा के पद्धतिशास्त्र की तलाश November 29, 2012 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी आत्मकथा में सब कुछ सत्य नहीं होता बल्कि इसमें कल्पना की भी भूमिका होती है। आत्मकथा या साहित्य में लेखक का ‘मैं’ बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह ‘बहुआयामी होता है। उसी तरह लेखिका की आत्मकथा में ‘मैं’ का एक ही रूप नहीं होता। बल्कि बहुआयामी ‘मैं’ होता है। मैत्रेयी पुष्पा के […] Read more » गुडि़या भीतर गुडि़या मैत्रेयी पुष्पा