कविता
चाँद तारे
by बीनू भटनागर
बीनु भटनागर चाँद ने थोड़ी सी रौशनी, सूरज से उधार लेकर, हर रात को थोड़ी थोड़ी बाँट दी। अमावस की रात तारों ने, चाँद के इंतज़ार मे, जाग कर गुजार दी। अगले दिन चाँद निकला, थका सा पतला सा, तारों ने चाँद की, आरती उतार ली। ‘’महीने मे एक बार लुप्त होना, मजबूरी है मेरी, […]
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