कविता साहित्य चुटकी भर सिन्दूर November 7, 2015 / November 7, 2015 by लक्ष्मी जायसवाल | Leave a Comment चुटकी भर सिन्दूर डला मांग में और बदल गया जीवन। चुटकी भर सिन्दूर के बदले में मिला उम्र भर का बंधन। सजी मैं संवरी मैं निभायी रस्में और स्वीकारा ये गठबंधन। इस सिन्दूर के बदले मिला मुझे किसी का जीवन भर का साथ इस साथ के बदले छूटे सभी अपने और छूटा अपनों का हाथ। […] Read more » Featured चुटकी भर सिन्दूर