व्यंग्य साहित्य जाने कहाँ गये……… December 5, 2015 by बीनू भटनागर | 1 Comment on जाने कहाँ गये……… जाने कहाँ गये वो दिन, कहते थे आधी तनख़्वाह मे, विधायक काम चलयेंंगे, नीली वैगनार से वो, ख़ुद दफ्तर आयें जायेंगे।जाने कहाँ गये……… अब तो सभी के पास मे, बडी से बडी हैं गाड़ियाँ, बंगला कोठी सबको मिले, विदेश मे हों छुट्टियाँ।जाने कहाँ गये……… ग़रीब तो और भी ग़रीब हैं हो रहे, दाल चावल भी […] Read more » जाने कहाँ गये.........