कहानी साहित्य जिंदगी के रंग November 25, 2015 by आर. सिंह | Leave a Comment समापन क़िस्त [इस कहानी के प्रथम अंश में हमने देखा कि किस तरह विनय राजनीति में आया और किस तरह छः महीने के अंदर स्वतन्त्र उम्मीदवार से फिर एक पार्टी और फिर दूसरी पार्टी में शामिल हुआ.अब आगे देखते हैं जिंदगी क्या रंग बदलती है.] विनय की कहानी को आगे बढ़ाने के पहले मैं आपलोगों […] Read more » जिंदगी के रंग
कहानी साहित्य जिंदगी के रंग November 4, 2015 by आर. सिंह | 1 Comment on जिंदगी के रंग कुछ बातें ऐसी होती हैं जो याद रह जाती हैं.कुछ ऐसी बातें भी होती हैं,जिन्हे याद रखना पड़ता है.यह घटनाक्रम उन बातों में से है,जो याद रह जाती हैं. ________________ विनय से मेरा मिलना इतिफाक या संयोग ही था,पर घटनाक्रम कुछ ऐसा रहा कि वह मेरे नजदीक आता गया और आता ही गया.बात बहुत पुरानी […] Read more » Featured जिंदगी के रंग