कविता झूठ है जाति अहं को पालना November 11, 2020 / November 11, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकक्यों जाति धर्म के झगड़े हैंक्यों रंग, वर्ण पर इतराना!सब मानव की एक है जातिसबको मानव ही बने रहना! कुछ नहीं शाश्वत यहां परभगवान भी रंग बदलते हैंकभी गौर, कभी श्याम हुएतो इंसानों का क्या कहना! गोरे थे आर्य,शक,हूण,मंगोलभगवान क्यों होते हैं काले?इसको समझो एशिया वालेऔर जरा हमको समझाना! सब धर्म जहां उदित […] Read more » झूठ है जाति अहं को पालना