दोहे तकि तकि कें वाण मारा करे ! November 18, 2019 / November 18, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment तकि तकि कें वाण मारा करे, प्राण हुलसिया; प्राँगण प्रकृति के खेला किए, जीव उमरिया ! हर आत्म रही अपनी, अखेटन की ठिठोरन; हर खाट बैठे वे ही रहे, चितेरे से बन ! हर ठाठ-बाट हर ललाट, ललक लास्य भर; हर ओज खोज औ सरोज, सौम्य सुधा क्षर ! साहस भरोसा भाव चाव, ताव ख्वाब […] Read more » तकि तकि कें वाण मारा करे !