दोहे तल रहे कितने अतल सृष्टि में ! April 27, 2020 / April 27, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment तल रहे कितने अतल सृष्टि में, कहाँ आ पाते सकल द्रष्टि में; मार्ग सब निकट रहे पट घट में, पहरे ताले थे रहे भ्रकुटि में ! खोले जो चक्र रहे जाना किए, राह हर सहज सूक्ष्म ताड़ा किए; देर जाने में कभी ना वे किए, ज़रूरी जहाँ हुआ पहुँचा किए ! जीव बंधन में रहे […] Read more » तल रहे कितने अतल सृष्टि में