कविता ताले में बैठा” की “होल November 28, 2019 / November 28, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बहुत आजकल गुस्सा रहता, ताले में बैठा “की” होल। चाबी डाली और घुमाया। ताला खोला और लगाया। खुलना लगना रोज मशक्कत, सबने हाथ जोर आजमाया। धकम पेल में कोई न समझा, कितने दुःख में है” की” होल. जब जब ताला खुला न भाई। सबने जहमत खूब उठाई। घर के भीतर जाएँ कैसे, सबको आई खूब […] Read more » ताले में बैठा" की "होल