कविता नए साल पर एक विरहणी की वेदना January 3, 2022 / January 3, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment नया साल है ,बुरा हाल है,चारो तरफ फैला बबाल है।मिलने का मन करता है तुमसे,मेरा भी अब बुरा हाल है।। बाहर मै निकल नही सकती,तुमसे भी मैं मिल नही सकती।कैसा ये करोना काल आया है,अपनो से भी मैं मिल न सकती।। चल रही है अब ठंडी ठंडी हवाएंबैरन बन चुकी है मेरी ठंडी हवाएं।कैसे रोकूं […] Read more » New Year's pain नए साल पर एक विरहणी की वेदना