कविता नाज़ है हिंद पर September 15, 2018 by भारत भूषण | Leave a Comment भारत भूषण नाज़ है हिंद पर साज़ लोकतंत्र है ये चित्र चंचला बहुत धरा का प्रतिबिम्ब है नील नभ नई किरण आशा सी भोर ये शक्ति सी भर रही कुछ कह रही सुनो इसे खेत है हरा भरा हरियाली चहुंओर है उम्मीद से भरी बंधी ऐसे राजा का देश है बालिका इतरा रहीं लेगी जन्म […] Read more » नाज़ है हिंद पर प्रधान सेवक युगपुरूष लोकतंत्र