कविता पीढ़ियों से जमी धूल-झाड़ कर उतार दो October 2, 2014 / October 4, 2014 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment पीढ़ियों से जमी है धूल, आज झाड़ कर उतार दो l हर परस्पर भेदभाव को, आज भूलकर बिसार दो Il हो कहीं भी दूरियां-दस्तूरियाँ, उनको अब मिटा दो चरैवेति-चरैवेति, स्वर चहुँओर- वह हमें भी सूना दो ll आज जब तुम झाड़ू लगा रहे, हमें अपनें में मिला दो l दो बातें हैं मेरें मन में, […] Read more » पीढ़ियों से जमी धूल-झाड़ कर उतार दो