कविता “प्रेमपत्र नंबर : 1409” August 5, 2013 / August 5, 2013 by विजय कुमार सप्पाती | 3 Comments on “प्रेमपत्र नंबर : 1409” जानां ; तुम्हारा मिलना एक ऐसे ख्वाब की तरह है , जिसके लिए मन कहता है कि , कभी भी ख़त्म नहीं होना चाहिए … तुम जब भी मिलो , तो मैं तुम्हे कुछ देना चाहूँगा , जो कि तुम्हारे लिए बचा कर रखा है ………….. एक दिन जब तुम ; मुझसे मिलने आओंगी प्रिये, […] Read more » “प्रेमपत्र नंबर : 1409”