समाज बदलाव चाहिए, तो जनता भी बदले February 19, 2015 by अरुण तिवारी | 5 Comments on बदलाव चाहिए, तो जनता भी बदले दिल्ली जनादेश-२०१५ को किसी पार्टी के पक्ष अथवा विपक्ष में देखे जाने से ज्यादा जरूरत, जनप्रतिनिधि संस्कारों में बदलाव, बुनियादी जरूरतों की पूर्ति और आत्मसम्मान की जनाकांक्षा के व्यापक उभार के संकेत के रूप में देखे जाने की है। यह संकेत ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए हैं, चंूकि दिल्ली की आबादी अपने आप में भिन्न विचार, वर्ग […] Read more » तो जनता भी बदले बदलाव चाहिए