कविता बरगद की छांव ….!! September 10, 2020 / September 10, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बुलाती है गलियों की यादें मगर ,अब अपनेपन से कोई नहीं बुलाता ।इमारतें तो बुलंद हैं अब भी लेकिन ,छत पर सोने को कोई बिस्तर नहीं लगाता ।बेरौनक नहीं है चौक – चौराहेपर अब कहां लगता है दोस्तों का जमावड़ा ।मिलते – मिलाते तो कई हैं मगरहाथ के साथ दिल भी मिले […] Read more » Banyan shade बरगद की छांव