कविता मीठी वाणी March 13, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment -प्रभुदयाल श्रीवास्तव- छत पर आकर बैठा कौवा, कांव-कांव चिल्लाया| मुन्नी को यह स्वर ना भाया, पत्थर मार भगाया| तभी वहां पर कोयल आई, कुहू कुहू चिल्लाई| उसकी प्यारी प्यारी बोली, मुनिया के मन भाई| मुन्नी बोली प्यारी कोयल, रहो हमारे घर में| शक्कर से भी ज्यादा मीठा, स्वाद तुम्हारे स्वर में| मीठी बोली वाणी वाले, […] Read more » poem on speaking मीठी वाणी