विविधा मुफ्तखोरी से मुक्ति का संकल्प लेने का वक्त August 14, 2017 by मनोज कुमार | Leave a Comment 15 अगस्त पर विशेष लेख मनोज कुमार हर बार की तरह एक बार फिर हम स्वाधीनता पर्व मनाने जा रहे हैं. हर बार की तरह हम सबकी जुबान पर शिकायत होगी कि आजादी के 70 सालों के बाद भी हम विकास नहीं कर पाये. कुछ लोगों की शिकायतों का दौर यह होता है कि इससे […] Read more » मुफ्तखोरी
व्यंग्य माले मुफ्त दिले बेरहम August 8, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment इसे पढ़कर आप कोई गलतफहमी न पालें। मैं कोई मुफ्त चीज बांटने नहीं जा रहा हूं। इस कहावत का अर्थ है कि यदि कोई चीज मुफ्त में मिल रही हो, तो फिर उसके लिए हाथ, जेब और झोली के साथ ही दिल भी बेरहम हो जाता है। भले ही वो हमारे काम की हो या […] Read more » Featured माले मुफ्त दिले बेरहम मुफ्तखोरी
राजनीति राजनीतिक दल मुफ्तखोरी की संस्कृति की नीति अपनाने से बाज आएं January 31, 2017 by महेश तिवारी | Leave a Comment वक्त का तकाजा है, लोकतांत्रिक व्यवस्था को राजनीतिज्ञों ने ताक पर रख रंगरलियाॅ मना रहें है, देश की आजादी के सात दशकों बाद भी चुनावी जुमले से सत्ता की शरणगाह में पनाह प्राप्त कर मलाईयाॅ चाट रहंे है, और जनता जुमले की पूर्ति की तरफ टकटकी लगा बैठी है। यह सत्ता की मदान्धता है, कि […] Read more » Featured मुफ्तखोरी मुफ्तखोरी की संस्कृति मुफ्तखोरी की संस्कृति की नीति राजनीतिक दल