कविता मेरी गुंजन September 1, 2022 / September 1, 2022 by लक्ष्मी अग्रवाल | Leave a Comment नहीं सी प्यारी सी अठखेली तेरीमुझको बड़ा लुभाती-हंसाती है।अपनी मधुर-कोमल मुसकान से तूहमारा घर-आँगन चहकाती है।नन्हीं-नन्हीं पायल की छम-छम तेरीसात सुरों से सुरीले संगीत सुना जाती है।अपने अबोध बालपन से तूमेरा संसार महकाती है।तुतले स्वर में जब तू माँ कहकर बुलाती हैन जाने कितनी संवेदना तू मेरी जगाती है।मेरी गुंजन तू केवल बिटिया नहीं हमारीहम […] Read more » मेरी गुंजन