मेरी गुंजन

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नहीं सी प्यारी सी अठखेली तेरी
मुझको बड़ा लुभाती-हंसाती है।
अपनी मधुर-कोमल मुसकान से तू
हमारा घर-आँगन चहकाती है।
नन्हीं-नन्हीं पायल की छम-छम तेरी
सात सुरों से सुरीले संगीत सुना जाती है।
अपने अबोध बालपन से तू
मेरा संसार महकाती है।
तुतले स्वर में जब तू माँ कहकर बुलाती है
न जाने कितनी संवेदना तू मेरी जगाती है।
मेरी गुंजन तू केवल बिटिया नहीं हमारी
हम सबके लिए अनमोल उपहार है।
होने से तेरे मेरा सम्पूर्ण जीवन खुशहाल है।
गुंजन मेरी बिटिया ! तू सच में बेमिसाल है।

जिस दिन नन्हीं सी गुंजन गोद में आई थी
खुशी से झूमकर मन की बगिया लहराई थी।
नाजुक-कोमल नन्हीं सी महकती कली
किसी अनमोल खजाने की तरह तू मुझे मिली।
बेटी-बहन-पत्नी से माँ बनाकर किया मुझे पूर्ण
तुझे पाकर अधूरा-नीरस जीवन मेरा हुआ सम्पूर्ण।
मेरी गुंजन तू केवल बिटिया नहीं हमारी
हम सबके लिए अनमोल उपहार है।
होने से तेरे मेरा सम्पूर्ण जीवन खुशहाल है।
गुंजन मेरी बिटिया ! तू सच में बेमिसाल है।

अबोध नटखट तेरी मनमोहक अठखेली
जाने कब बन गई तू बेटी से मेरी सहेली।
रोशन तुझसे हुआ मेरे मन का हरेक कोना
पाकर तुझे सच हुआ मेरा सपना सलोना।
तुतली बोली, कोमल स्पर्श अबोध संवेदना तेरी
सहज ही हर लेते हर छोटी-बड़ी पीड़ा मेरी।
मेरी गुंजन तू केवल बिटिया नहीं हमारी
हम सबके लिए अनमोल उपहार है।
होने से तेरे मेरा सम्पूर्ण जीवन खुशहाल है।
गुंजन मेरी बिटिया ! तू सच में बेमिसाल है।

नटखट-चंचल, मनभावन, छैल-छबीली है
गुंजन! लाडो मेरी तू थोड़ी सी हठीली भी है।
हठ भी तेरा मुझको बहुत ही गुदगुदाता है
चंचलता से तेरी मन मंद-मंद मुसकाता है।
बिटिया मेरी प्यार तेरा रोम-रोम में समाया
खुशियों की चाभी, तू ही जीवन की छाया
मुसकान ने तेरी बगिया का हर फूल खिलाया।
मेरी गुंजन तू केवल बिटिया नहीं हमारी
हम सबके लिए अनमोल उपहार है।
होने से तेरे मेरा सम्पूर्ण जीवन खुशहाल है।
गुंजन मेरी बिटिया ! तू सच में बेमिसाल है।

लक्ष्मी अग्रवाल

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