प्रवक्ता न्यूज़
मैं जिंदा रह सकता हूं
/ by डा.राज सक्सेना
तपतीधरती,तपताअम्बर,मैं तिल-तिल सह सकता हूं | इन दोनों के बीच में तप कर,मैं जिंदा रह सकता हूं | जिन से मेरे दिल के रिश्ते, देस गए तो भूल गए, गैरों को परदेस में कैसे, मैं अपना कह सकता हूं | खुशियां बांटीं गैरों को भी, रख कर दोनों हाथ खुले, मैं तो गम के साथ […]
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