दोहे साहित्य मो कूँ रहत माधव तकत ! June 10, 2017 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment मो कूँ रहत माधव तकत, हर लता पातन ते चकित; देखन न हों पावति तुरत, लुकि जात वे लखि मोर गति ! मैं सुरति जब आवति रहति, सुधि पाइ तिन खोजत फिरति; परि मुरारी धावत रहत, चितवत सतत चित मम चलत ! जानत रहत मैं का चहत, प्रायोजना ता की करत; राखत व्यवस्थित व्यस्त नित, […] Read more » मो कूँ रहत माधव तकत