धर्म-अध्यात्म यशोदानन्दन -१ February 10, 2015 / February 10, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | 2 Comments on यशोदानन्दन -१ “क्या कहा आपने? कृष्ण मेरा पुत्र नहीं है? यह कैसे हो सकता है? मुझे स्मरण नहीं कि आपने कभी मिथ्यावाचन किया हो। फिर यह असत्य संभाषण क्यों? कही आप मेरे साथ हंसी तो नहीं कर रहे हैं? लेकिन यह विनोद का समय नहीं। बताइये वह कहाँ है? उसे कहाँ छोड़ आए आप? वह […] Read more » यशोदानन्दन