साहित्य हिन्दी के लेखक संगठनों में दरबारी संस्कृति March 13, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on हिन्दी के लेखक संगठनों में दरबारी संस्कृति उनकी आलोचना करो तो नाराज हो जाते हैं और प्रशंसा करो तो फूलकर कुप्पा हो जाते हैं। वे चाहते हैं सच को किंतु प्यार करते हैं झूठ को। रहते हैं हकीकत में जीते हैं कल्पना में। ऐसी अवस्था है हिन्दी के लेखक संगठनों की। जो जितना बेहतरीन लेखक सामाजिक तौर पर उतना ही निकम्मा। श्रेष्ठता […] Read more » Writer organization लेखक संगठन