कविता वक्त कैसा ये आया, खराब यार रे July 23, 2014 by कुमार सुशांत | Leave a Comment -कुमार सुशांत- वक्त कैसा ये आया, खराब यार रे, वक्त कैसा ये, सबकी नीयत यहां, है बेकार यार रे। अपनी बहनों की इज्जत खतरे में है, कैसा इंसा हुआ जा रहा यार रे। गोरे आए गुलाम हमें कर गए, उनकी राह क्यूं जाता है तू यार रे। वो है नारी जो शक्ति का रूप है, […] Read more » कुमार सुशांत कविता वक्त कैसा ये आया