विविधा ठेके से राष्ट्र निर्माण बनाम श्रम शोषण के निहितार्थ December 28, 2010 / December 18, 2011 by श्रीराम तिवारी | 3 Comments on ठेके से राष्ट्र निर्माण बनाम श्रम शोषण के निहितार्थ श्रीराम तिवारी वर्तमान वैश्वीकरण और आधुनिकीकरण के बरबस दबाव में भारत की आर्थिक नीति बेहद बेलगाम हाथों में सिमट चुकी है. आधुनिक संचार एवं सूचना तकनालाजी में क्रांतीकारी विकास के चलते मानवीय श्रम की गुणवत्ता तो बढ़ती जा रही है किन्तु जनसँख्या विस्फोट और कड़ी बाजारगत स्पर्धा के चलते भयानक बेरोजगारी ने वर्तमान युवा पीढी […] Read more » Labor exploitation श्रम शोषण