कविता सबसे लम्बी रात का सुपना December 26, 2018 / December 26, 2018 by अरुण तिवारी | Leave a Comment सबसे लम्बी रात का सुपना नया देह अनुपम बन उजाला कर गया। रम गया, रचता गया रमते-रमते रच गया वह कंडीलों को दूर ठिठकी दृष्टि थी जोे पता उसका लिख गया। सबसे लम्बी रात का सुपना नया.. रमता जोगी, बहता पानी रच गया कुछ पूर्णिमा सी कुछ हिमालय सा रचा औ हैं रची कुछ रजत […] Read more » सबसे लम्बी रात का सुपना