कविता साहित्य सुन्दरम् सुन्दरम् December 2, 2015 / December 2, 2015 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment सुन्दरम् सुन्दरम् सुन्दरम् सुन्दरम् विश्व अति सुन्दरम् ! कुन्दनम् ज्योतिमय भव्य उर केशवम् ! अखिल आलोकमय है त्रिलोकी स्वयम् ! पुष्प जल प्राण मय सूर्य सुर प्रेरितम्! शुभ्र सुषमा प्रखर माधवी मन विचर; शैल संयम समाहित खड़ा है रुचिर! चिर अनिद्रित है मन्द्रित उदधि प्रति प्रहर; प्रणव अँगड़ाई लेता सुमन ज्यों सिहर ! भाव भव […] Read more » सुन्दरम् सुन्दरम्