कविता हर सवेरा नया और संध्या सुहानी हो July 23, 2014 by श्रीराम तिवारी | 1 Comment on हर सवेरा नया और संध्या सुहानी हो -श्रीराम तिवारी- हर सवेरा नया और संध्या सुहानी हो! मां की तस्वीर हो, माथे कश्मीर हो, धोए चरणों को सागर का पानी हो। पुरवा गाती रहे, पछुआ गुनगुन करे, मानसून की सदा मेहरवानी हो। सावन सूना न हो, भादों रीता न हो, नाचे वन-वन में मोर- मीठी वाणी हो। यमुना कल-कल करे, गंगा निर्मल बहे, […] Read more » कविता हर सवेरा नया और संध्या सुहानी हो हिन्दी कविता