कविता हास्य व्यंग्य कविताएं : शिष्टाचार, भाईचारा, मौज July 19, 2013 / July 19, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा शिष्टाचार माल सब साफ़ किया विकास के नाम पर विनाश किया भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार है कहो न प्यार है. भाईचारा ‘भाईचारा’ का शानदार नमूना देखिये घर का चारा खानेवाला खा रहा अब ‘भाई’ का ‘चारा’ देखिये. मौज […] Read more » भाईचारा मौज हास्य व्यंग्य कविताएं : शिष्टाचार