कविता

नयनों से बात

तेरे मेरे सारे शब्द अब पडते हैं अधूरे

हम नयनों से बात करें शब्द हो पूरे।

प्रेम भरे शब्दों को हम कह-कह के ऊबे

नयनों में नयन ड़ाल आज हम डूबे।

सांसों से सॉस चले सहेलियों के साथ चले

छेडती है तुमको मेरे प्यार की ये बोलियॉ।

थिरकती पवन चले तेरे आँचल को तंग करे

खेलती है तुझसे वह जी भर अठखेलियॉ।

कस्तूरी लुटाये चले जुल्फें बिखराए चले

धडक़ती है मन मेरे घटा मेघ बिजलियॉ।

उपवन में आज चले फूलों के साथ चले

हमें घेरती है प्यार भरे भंवरों की टोलियॉ।

बाहों में डाले बॉह चले बेसुध आजाद चले

धडकते है दिल मिले बंधनों से आजादियॉ।

नगमे सुनाये चले झूम-झूम इतराए चले

कम पडती है प्यार में सागर सी गहराईयॉ।

नयनों से बात करें सुध बुध बिसरायें चले

नई लिखते है हम प्रेम इतिहास की कहानियॉ।

शब्दों को दफनाये चले जिससे लोग नई बात करें

आओं ऐसा काम करें जिसे जमाना सारा याद करें।

मिसाल अपनी बनाये चले पुष्प प्रेम के उगाये चले

जब हमेशा जिसे याद करे हमें रोज नई सौगात मिले।

होठ सभी बुदबुदाए चले ऐसी मीठी सुरभित बयार चले

गीतों के बोल उठे छाया प्यार की हम बनाये चले

सभी छंदों के हम बंध खोले हृदय के सब रंध्र खोले

सप्तरंग संग घोले प्रेम तिक्त हम प्राण धोले।

प्राणों में हम सॉस घोले जीवन के सब द्वार खोलें

नयनों से बात करें ले मधुवन का उल्लास हिल्लोंर।

विरह नयन छलक पड़े रिक्त हृदयï का हम कलश भरे

मिलने को हम आज चले सागर में समाए चलें।

सरिता बन साथ चले नयनों से वर्षात करें

धरती को बनाए चले प्रेम की हम हरियालियॉ।

पीव जिसे याद करे आशाओं के हम बीज बोये

बिखराये चले इतिहास में हम प्रेम की कहानियॉ।

आओ प्रकृति से बात करें सृष्टिï के साथ उड़े

 पीव बैठे है मेरे आज मन के आकाश में।

आत्‍माराम यादव पीव