राजनीति

चाय पर चर्चा के जरिए मोदी पहुंचेंगे गली-मुहल्ले

-एम. अफसर खां सागर-   narendra_modi1

चाय की चुस्की और चुनावी चकल्लस का चोली दावन का साथ रहा है। अल सुबह चायखानों पर सियासी गुफ्तगु का आगाज हर रोज चाय की चुस्की से होता है। जहां अड़िबाज देश की राजनीति का दिशा और दशा तय करते नजर आते हैं। जबसे कांग्रेस ने मोदी को चाय बेचने वाले के रूप में प्रचारित किया है तब से मोदी व भाजपा ने चाय के बहाने लोगों से सीधे जुड़ने का कार्यक्रम बनाया है। या यूं कह लें कि भाजपा मोदी ब्राण्ड चाय से देश की सियासत को गर्माने में लगी है। भाजपा लोगों को सीधे मोदी के साथ ई-चाय पिलाने का मन बना लिया है।

चाय पर चर्चा में भाजपा के पीएम इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी देश के 300 शहरों के 1,000 जगहों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों से मुखातिब होंगे जिसके लिए बाकायदा राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर टीम गठित की गयी है जो लोगों से ई-मेल व मोबाइल के जरिए सम्पर्क कर रही है। चाय पर चर्चा कार्यक्रम के आयोजन के लिए दूरदराज के गांवों व शहरी क्षेत्रों का चयन किया जा रहा है, जहां अगर मोदी ना भी पहुंच सकें तो उनका वर्चुअल रूप पहुंच जाये। इसके लिए चाय की ऐसी दुकानों का चयन करना है जहां पर सौ से दो सौ लोग इकठ्ठा हो सकें तथा यातायात को प्रभावित करने वाली जगह ना हो। चयन के लिए सर्वप्रथम दुकानदार की सहमति आवश्यक है तथा उस स्थान पर बिजली की उपलब्धता भी अनिवार्य हो ताकि टीवी स्क्रीन व लैपटॉप सुचारू रूप से चल सके।

चाय पर चर्चा कार्यक्रम का आयोजन कराने के लिए सर्वप्रथम इंटरनेट पर चाय पे चर्चा का ऑनलाइन डेटा फार्म भरना है। उसके बाद संबंधित जिले में एक व्यक्ति को पीओसी यानि प्वाइंट आफ कॉन्टेक्ट बनाकर जिला के सभी इच्छुक स्थानों के लोगों एक जगह मीटिंग कराकर चाय की दुकानों का चयन किया जाएगा, जिसका डिटेल राज्य स्तरीय टीम के पास भेजी जाएगी। फिर चाय पर चर्चा की राज्य स्तरीय टीम के प्रतिनिधि उन स्थानों का भौगोलिक सत्यापन कर चाय पर चर्चा कार्यक्रम निर्धारित करेंगे। चाय पर चर्चा का एक मकसद ये भी है कि चुनावी समर में मोदी का वर्चुअल अवतार देश के हर गली मुहल्ले में पहुंचकर लोगों को भाजपा के पक्ष में करने में कामयाब हो। अब मोदी के साथ ई-चाय पीकर लोग भाजपा को कितना वोट करते हैं, ये तो आने वाला चुनाव परिणाम ही बतायेगा। मगर एक बात है कि मोदी पीएम बनने के लिए हर वो तरकीब आजमाना चाहते हैं जो उनको आम लोगों के बीच पहुंचा सके।