समाज

इसलिये चर्चित है डेरा सच्चा सौदा

deraडेरा सच्चा सौदा ने जो कुछ किया वह करने  की इजाजत समाज नही देता , लेकिन उसने कर दिखाया और उन लोगों के दिलों में जगह बना ली जो कि अभी तक धर्म के नाम पर ठगे जा रहे थे या संस्कार बताकर उनको दिग्भ्रमित किया जा रहा था। चाहे वह महिलाओं के अर्थी का कंधा देने का मामला हो, या फिर हिजडों का तीसरे जेन्डर की मान्यता देने की बात हो , शरीर का दान हो या आंख दान हो, ब्लड का दान देने की बात हो या फिर अनाथ मगर शाही कन्याओं की बात हो, सभी जगह डेरा सच्चा सौदा ने अपनी उपस्थिती दिखायी है। इतना ही नही गीनिज बुक आफ द रिकार्ड मे अपना नाम दर्ज कराया है। इसके अलावा स्वच्छता के नाम पर उसने देश के अंदर वह कर दिखाया जिसका नाम प्रधानमंत्री तक लेते है।पर्यावरण संरक्षण के नाम पर कई रिकार्ड डेरा के पास है।सबसे खास बात यह है कि इंसा नाम का चोला घारण करने वाले इस डेरे के अनुयायी न तो हिन्दू हैं न मुस्लिम , न सिख, न ईसाई , यह सभी इंसा है और इंसानियत ही इनका धर्म है, ऐसा डेरा सच्चा सौदा में दशकों से होता आया है।

वास्तव में देखा जाय तो डेरा सच्चा सौदा ने जो भी काम किया वह किसी ने नही किया या किया भी तो भारतीय पटल पर नही है । उनकी बढ़ती साख व दरियादिली के आगे हर कोई नतमस्तक है । कहते हैं  कि इंसा तो जन्म से ही शाकाहारी होता है लेकिन जिस तरह संगत व माहौल उसे मांसाहारी व बेवडा बना देती है उसी तरह यहां की संगत उसे फिर से वैसा ही बना देती है जैसा कि जन्म के समय का बच्चा । इसी लिये आज लोग उसके कसीदे पढते है और राम रहीम इंसा का राज उन पर चलता है।उनके अनुसार पूज्य पिता जी ने कभी नही कहा कि आज का जो डेरा है वह अब तक का सबसे बेहतर डेरा है । जैसे जैसे डेरा का विस्तार हुआ लोगों की अपेक्षा भी डेरा से बढ़ती गयी और इतनी बढ़ गयी कि आज डेरा के पास इतने भी लोग या सेवक नही है कि आराम से वह दाल रोटी अपने श्रद्धालुओं को खिला सके । उसके लिये उसे अत्याधुनिक तरीके से व्यवस्था करनी पडी और तब जाकर वह अपने लाखों आने वाले अनुयायियों के लिये प्रसाद की व्यवस्था कर पाया ।

अनुयायियों की माने तो डेरा सच्चा सौदा का जितना तेजी से पूज्य पिताजी के मार्गदर्शन में विस्तार हुआ उतनी ही तेजी से डेरा का विरोध भी हुआ। दसअसल यह विरोध उस व्यवस्था को लेकर था।   डेरा ने अपना लाओ अपना बनाओ के सिद्धान्त पर काम किया जिसके तहत शिरोमणि अकालतख्त को जाने वाला चंदा बंद हो गया और एक लम्बी लाइन डेरा में आकर अपने से दान कर उसका मान देने वाले डेरा की बरकत होने लगी । इस सिद्धान्त ने हरंिमदर साहिब के तख्त में ऐसी सेंध लगायी कि पंजाबी समुदाय जो अब तक इस चंदे से ऐश कर रहे थे वह तिलमिला उठे और उसके विरोध में खडे हो गये। डेरा सच्चा सौदा को जिसने बढ़ाया वह सभी पंजाबी वर्ग से आते है और जिस तंत्र से डेरा आगे बढ़ा उसमें सबसे प्रमुख था उसकी साफ नियत, देश विदेश से करोड़ों रुपए जनसेवा के लिये चंदे के रूप् में आता था और वह बैंको के जरिये लिया जाता था।  कुछ लोग हैं जो इस व्यवस्था में बैठ कर इसका लाभ उठा रहे थे और सरकार व शासन में अपनी पैठ का लाभ उठाकर अपना वर्चस्व बढ़ा रहे थे।

अनुयायियों के अनुसार डेरा सच्चा सौदा से यह लोग सीधे तौर पर जुडे और सदकर्मो को करते हुए अपने हाथ से खुद नेकी की और हूजूर पिताजी राम रहीम जी के वचनों को मानतों हुए उस पर अमल कर बरकत की तो डेरे की बरकत अपने आप होने लगी । चूकि  डेरा में सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान और स्वागत किया जाता है, किसी पर किसी तरह का दबाब नही डालता कि आप अपना धर्म बदलिये बल्कि आप अपने धर्म में रहते हुए भी इसके अनुयायी बनकर अपने जीवन में अच्छे की नियत से जुड सकते है और नाम लेकर अपने जीवन को सफल व सार्थक बना सकते है। इसलिये सर्व धर्म सम्भाव को बढ़ावा मिला और इस बात की चमक या धमक उसके स्थापना दिवस पर देखने को मिलती है।

इसके अलावा डेरा सच्चा सौदा महानतम धर्म के रूप में आगे की ओर बढ़ता जा रहा है उसके इंसानियत के राह पर चलने वाले लोगो से वह कहता है कि मानवता में विश्वास रखो और मानवता की सच्ची सेवा में। मानवता की सच्ची सेवा में जिसे शामिल बताया है, वह है गरीब, असहाय और बीमार लोगों की हर संभव तरीके से मदद करो और न हो सके तो उसे डेरे तक पहुचा दो, जिससे बिना इलाज के कोई भी न मरने पाये। अनमोल जीवन पाया है तो उसका उपभोग करने का अधिकार हर आदमी के पास है। डेरा सच्चा सौदा में कोई अमीर और गरीब, आदि के आधार पर लोगों के बीच कोई भेदभाव नही किया जाता है बल्कि अपनी स्वेच्छा से कोई भी जिस तरह से रहे, रह सकता है बशर्ते डेरा की साख पर बट्टा न लगाता हो।

. डेरा सच्चा सौदा में जो ध्यान की शिक्षा दी जाती है उसके लिए किसी से भी कोई दान इत्यादि नहीं लिया जाता। यह पूरी तरह से निःशुल्क है और स्वयं महराज जी द्वारा अकेले में न देकर एक समूह में दिया जाता है। डेरा सच्चा सौदा झूठे ढोंग-आडंबर, कदाचार, अल्पज्ञता और धर्म के नाम पे छल का खंडन करता है। डेरा सच्चा सौदा में सत्य सिखाया जाता है और सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा दी जाती है।  प्रभु, परमात्मा, राम, अल्लाह, सत्य है, जिसका ध्यान करना यहाँ सिखाया जाता है, जिसके लिए किसी को भी अपना धर्म बदलने की जरूरत नही है।