धार्मिक मूल्यों और संतों की सुरक्षा का दायित्व समाज और सरकार दोनों का

म.प्र. के सिंगोली में जैन संतों पर हमला दुर्भाग्यपूर्ण

संदीप सृजन

हाल ही में मध्य प्रदेश के नीमच जिले के सिंगोली थाना क्षेत्र में हुई एक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 13 अप्रैल 2025 की रात को कछाला गांव के हनुमान मंदिर में रात्रि विश्राम कर रहे तीन जैन संतों शैलेश मुनि, बलभद्र मुनि और मुनिन्द्र मुनि पर कुछ असामाजिक तत्वों ने लूट की नीयत से क्रूर हमला किया। इस घटना में संतों के साथ लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से मारपीट की गई, जिसके परिणामस्वरूप वे गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना न केवल जैन समाज के लिए, बल्कि समूचे भारतीय समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। इस घटना का पूरे देश में  विरोध हो रहा है। पुलिस अधिकारियों ने विरोध को बढ़ता देख तत्परता दिखाई और अपराधियों को गिरफ्तार भी कर लिया। लेकिन समाज में संतो के प्रति जो दुर्व्यवहार की घटनाएँ हो रही है वे चिंतन का विषय है।

घटना का विवरण

सिंगोली से नीमच की ओर विहार कर रहे तीन जैन संत रविवार की रात कछाला गांव के हनुमान मंदिर में विश्राम के लिए रुके थे। रात करीब 10:30 बजे, छह बदमाशों ने, जो कथित तौर पर शराब के नशे में थे, मंदिर में घुसकर संतों से पैसे की मांग की। जब संतों ने पैसे देने से इनकार किया, तो इन असामाजिक तत्वों ने उन पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। हमले में संतों के कपड़े फाड़ दिए गए और उनके सिर व शरीर पर गंभीर चोटें आईं। एक संत ने हिम्मत दिखाते हुए मंदिर से बाहर निकलकर एक राहगीर से मदद मांगी, जिसके बाद जैन समाज के लोग और पुलिस मौके पर पहुंचे। स्थानीय लोगों ने दो हमलावरों को पकड़ लिया, जबकि चार भागने में सफल रहे। बाद में पुलिस ने सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जिनमें एक नाबालिग भी शामिल था। प्रारंभिक जांच में पता चला कि ये आरोपी पड़ोसी राज्य राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के निवासी हैं।

जैन समाज का विरोध

इस घटना के बाद जैन समाज में भारी आक्रोश फैल गया। 14-15 अप्रैल 2025 को सिंगोली नगर सहित पूरे मध्यप्रदेश में जैन समाज ने विरोध स्वरूप बंद का आह्वान किया। सर्वसमाज के समर्थन से एक मौन जुलूस निकाले गये, जिसमें लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी नाराजगी व्यक्त की। जैन समाज के प्रतिनिधियों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई और भविष्य में संतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। इस घटना ने जैन समाज को एकजुट कर दिया और उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

शासन-प्रशासन की प्रतिक्रिया

घटना की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “जैन मुनियों के साथ अभद्र व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।” नीमच के कलेक्टर हिमांशु चंद्रा और पुलिस अधीक्षक अंकित जायसवाल ने रात में ही सिंगोली पहुंचकर घायल संतों का हालचाल जाना और जैन समाज को आश्वासन दिया कि न्याय होगा। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया। 

सामाजिक और धार्मिक प्रभाव

जैन धर्म शांति, संयम और अहिंसा का प्रतीक है। संतों पर हमला न केवल एक आपराधिक कृत्य है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक मूल्यों पर भी प्रहार है। यह घटना मध्य प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाती है। इस घटना ने समाज में यह बहस छेड़ दी कि क्या धार्मिक व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय किए जा रहे हैं? जैन संत, जो पैदल विहार करते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में रात्रि विश्राम के लिए मंदिरों पर निर्भर रहते हैं, उनकी सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बन गया है।

भविष्य में सुरक्षा के उपाय

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि संतों और धार्मिक व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिल सके हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में मंदिरों और धार्मिक स्थानों के प्रबंधकों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करना चाहिए। उन्हें संदिग्ध गतिविधियों की पहचान और आपात स्थिति में पुलिस से संपर्क करने का प्रशिक्षण दिया जाए। ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों में रात के समय पुलिस गश्त बढ़ाई जानी चाहिए। सिंगोली जैसी घटना से पता चलता है कि अपराधी अक्सर सुनसान इलाकों को निशाना बनाते हैं।

जैन संतों के लिए विहार मार्गों पर सुरक्षित विश्राम स्थलों की व्यवस्था की जानी चाहिए। इन स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा कर्मी तैनात किए जा सकते हैं। धार्मिक व्यक्तियों पर हमले को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखकर इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान करना चाहिए। इससे अपराधियों में भय पैदा होगा। स्थानीय समुदाय को संतों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार बनाया जाए। कछाला गांव में लोगों ने त्वरित प्रतिक्रिया दी, जिससे दो हमलावर पकड़े गए। ऐसे सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।

संतों को आपात स्थिति में मदद के लिए मोबाइल फोन या जीपीएस ट्रैकर जैसी सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं जो उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप हों। समाज में धार्मिक सहिष्णुता और संतों के सम्मान को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।

सिंगोली में जैन संतों पर हुआ हमला एक दुखद और शर्मनाक घटना है, जिसने समाज के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। जैन समाज का शांतिपूर्ण विरोध और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई इस घटना के प्रति गंभीरता को दर्शाती है। हालांकि, यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने धार्मिक मूल्यों और संतों की सुरक्षा के प्रति पर्याप्त संवेदनशील हैं? भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर काम करना होगा। संतों की सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल कानून-व्यवस्था का मामला नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की जिम्मेदारी भी है। यह समय है कि हम सब एकजुट होकर यह संकल्प लें कि शांति और अहिंसा के प्रतीक संतों के साथ ऐसी बर्बरता दोबारा न हो। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार है)

संदीप सृजन

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