इस बहादुर विधवा की दर्दनाक आपबीती से मनमोहन सिंह की नींद उचाट नहीं होती

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आप सभी को याद होगा कि किस तरह से ऑस्ट्रेलिया में एक डॉक्टर हनीफ़ को वहाँ की सरकार ने जब गलती से आतंकवादी करार देकर गिरफ़्तार कर लिया था, उस समय हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने बयान दिया था कि “हनीफ़ पर हुए अत्याचार से उनकी नींद उड़ गई है…” और उस की मदद के लिये सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। डॉक्टर हनीफ़ के सौभाग्य कहिये कि वह ऑस्ट्रेलिया में कोर्ट केस भी जीत गया, ऑस्ट्रेलिया सरकार ने उससे लिखित में माफ़ी भी माँग ली है एवं उसे 10 लाख डॉलर की क्षतिपूर्ति राशि भी मिलेगी…

अब चलते हैं सऊदी अरब… डॉक्टर शालिनी चावला इस देश को कभी भूल नहीं सकतीं… यह बर्बर इस्लामिक देश, रह-रहकर उन्हें सपने में भी डराता रहेगा, भले ही मनमोहन जी चैन की नींद लेते रहें…

डॉक्टर शालिनी एवं डॉक्टर आशीष चावला की मुलाकात दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में हुई, दोनों में प्रेम हुआ और 10 साल पहले उनकी शादी भी हुई। आज से लगभग 4 वर्ष पहले दोनों को सऊदी अरब के किंग खालिद अस्पताल में नौकरी मिल गई और वे वहाँ चले गये। डॉ आशीष ने वहाँ कार्डियोलॉजिस्ट के रुप में तथा डॉ शालिनी ने अन्य मेडिकल विभाग में नौकरी ज्वाइन कर ली। सब कुछ अच्छा-खासा चल रहा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था…

जनवरी 2010 (यानी लगभग एक साल पहले) में डॉक्टर आशीष चावला की मृत्यु हार्ट अटैक से हो गई, अस्पताल की प्रारम्भिक जाँच रिपोर्ट में इसे Myocardial Infraction बताया गया था अर्थात सीधा-सादा हार्ट अटैक, जो कि किसी को कभी भी आ सकता है। यह डॉ शालिनी पर पहला आघात था। शालिनी की एक बेटी है दो वर्ष की, एवं जिस समय आशीष की मौत हुई उस समय शालिनी गर्भवती थीं तथा डिलेवरी की दिनांक भी नज़दीक ही थी। बेटी का खयाल रखने व गर्भावस्था में आराम करने के लिये शालिनी ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा पहले ही दे दिया था। इस भीषण शारीरिक एवं मानसिक अवस्था में डॉ शालिनी को अपने पति का शव भारत ले जाना था… जो कि स्थिति को देखते हुए तुरन्त ले जाना सम्भव भी नहीं था…।

फ़िर 10 फ़रवरी 2010 को शालिनी ने एक पुत्र “वेदांत” को जन्म दिया, चूंकि डिलेवरी ऑपरेशन (सिजेरियन) के जरिये हुई थी, इसलिये शालिनी को कुछ दिनों तक बिस्तर पर ही रहना पड़ा…ज़रा इस बहादुर स्त्री की परिस्थिति के बारे में सोचिये… उधर दूसरे अस्पताल में पति का शव पड़ा हुआ है, दो वर्ष की बेटी की देखभाल, नवजात शिशु की देखभाल, ऑपरेशन की दर्दनाक स्थिति से गुज़रना… कैसी भयानक मानसिक यातना सही होगी डॉ शालिनी ने…

लेकिन रुकिये… अभी विपदाओं का और भी वीभत्स रुप सामने आना बाकी था…

1 मार्च 2010 को नज़रान (सऊदी अरब) की पुलिस ने डॉ शालिनी को अस्पताल में ही नोटिस भिजवाया कि ऐसी शिकायत मिली है कि “आपके पति ने मौत से पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था एवं शक है कि उसने अपने पति को ज़हर देकर मार दिया है”। इन बेतुके आरोपों और अपनी मानसिक स्थिति से बुरी तरह घबराई व टूटी शालिनी ने पुलिस के सामने तरह-तरह की दुहाई व तर्क रखे, लेकिन उसकी एक न सुनी गई। अन्ततः शालिनी को उसके मात्र 34 दिन के नवजात शिशु के साथ पुलिस कस्टडी में गिरफ़्तार कर लिया गया व उससे कहा गया कि जब तक उसके पति डॉ आशीष का दोबारा पोस्टमॉर्टम नहीं होता व डॉक्टर अपनी जाँच रिपोर्ट नहीं दे देते, वह देश नहीं छोड़ सकती। डॉ शालिनी को शुरु में 25 दिनों तक जेल में रहना पड़ा, ज़मानत पर रिहाई के बाद उसे अस्पताल कैम्पस में ही अघोषित रुप से नज़रबन्द कर दिया गया, उसकी प्रत्येक हरकत पर नज़र रखी जाती थी…। चूंकि नौकरी भी नहीं रही व स्थितियों के कारण आर्थिक हालत भी खराब हो चली थी इसलिये दिल्ली से परिवार वाले शालिनी को पैसा भेजते रहे, जिससे उसका काम चलता रहा… लेकिन उन दिनों उसने हालात का सामना बहुत बहादुरी से किया। जिस समय शालिनी जेल में थी तब यहाँ से गई हुईं उनकी माँ ने दो वर्षीय बच्ची की देखभाल की। शालिनी के पिता की दो साल पहले ही मौत हो चुकी है…

डॉ आशीष का शव अस्पताल में ही रखा रहा, न तो उसे भारत ले जाने की अनुमति दी गई, न ही अन्तिम संस्कार की। डॉक्टरों की एक विशेष टीम ने दूसरी बार पोस्टमॉर्टम किया तथा ज़हर दिये जाने के शक में “टॉक्सिकोलोजी व फ़ोरेंसिक विभाग” ने भी शव की गहन जाँच की। अन्त में डॉक्टरों ने अपनी फ़ाइनल रिपोर्ट में यह घोषित किया कि डॉ आशीष को ज़हर नहीं दिया गया है उनकी मौत सामान्य हार्ट अटैक से ही हुई, लेकिन इस बीच डॉ शालिनी का जीवन नर्क बन चुका था। इन बुरे और भीषण दुख के दिनों में भारत से शालिनी के रिश्तेदारों ने सऊदी अरब स्थित भारत के दूतावास से लगातार मदद की गुहार की, भारत स्थित सऊदी अरब के दूतावास में भी विभिन्न सम्पर्कों को तलाशा गया लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली, यहाँ तक कि तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री शशि थरुर से भी कहलवाया गया, लेकिन सऊदी अरब सरकार ने “कानूनों”(?) का हवाला देकर किसी की नहीं सुनी। मनमोहन सिंह की नींद तब भी खराब नहीं हुई…

शालिनी ने अपने बयान में कहा कि आशीष द्वारा इस्लाम स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता था, यदि ऐसा कोई कदम वे उठाते तो निश्चित ही परिवार की सहमति अवश्य लेते, लेकिन मुझे नहीं पता कि पति को ज़हर देकर मारने जैसा घिनौना आरोप मुझ पर क्यों लगाया जा रहा है।

इन सारी दुश्वारियों व मानसिक कष्टों के कारण शालिनी की दिमागी हालत बहुत दबाव में आ गई थी एवं वह गुमसुम सी रहने लगी थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी और सऊदी प्रशासन से लगातार न्याय की गुहार लगाती रही। अन्ततः 3 दिसम्बर 2010 को सऊदी सरकार ने यह मानते हुए कि डॉ आशीष की मौत स्वाभाविक है, व उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया था, शालिनी चावला को उनका शव भारत ले जाने की अनुमति दी। डॉ आशीष का अन्तिम संस्कार 8 दिसम्बर (बुधवार) को दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया… आँखों में आँसू लिये यह बहादुर महिला तनकर खड़ी रही, डॉ शालिनी जैसी परिस्थितियाँ किसी सामान्य इंसान पर बीतती तो वह कब का टूट चुका होता…

यह घटनाक्रम इतना हृदयविदारक है कि मैं इसका कोई विश्लेषण नहीं करना चाहता, मैं सब कुछ पाठकों पर छोड़ना चाहता हूँ… वे ही सोचें…

1) डॉ हनीफ़ और डॉ शालिनी के मामले में कांग्रेस सरकार के दोहरे रवैये के बारे में सोचें…


2) ऑस्ट्रेलिया सरकार एवं सऊदी सरकार के बर्ताव के अन्तर के बारे में सोचें…


3) भारत में काम करने वाले, अरबों का चन्दा डकारने वाले, मानवाधिकार और महिला संगठनों ने इस मामले में क्या किया, यह सोचें…


4) डॉली बिन्द्रा, वीना मलिक जैसी छिछोरी महिलाओं के किस्से चटखारे ले-लेकर दिन-रात सुनाने वाले “जागरुक” व “सबसे तेज़” मीडिया ने इस महिला पर कभी स्टोरी चलाई? इस बारे में सोचें…


5) भारत की सरकार का विदेशों में दबदबा(?), भारतीय दूतावासों के रोल और शशि थरुर आदि की औकात के बारे में भी सोचें…

और हाँ… कभी पैसा कमाने से थोड़ा समय फ़्री मिले, तो इस बात पर भी विचार कीजियेगा कि फ़िजी, मलेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब और यहाँ तक कि कश्मीर, असम, बंगाल जैसी जगहों पर हिन्दू क्यों लगातार जूते खाते रहते हैं? कोई उन्हें पूछता तक नहीं…
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विषय से जुड़ा एक पुराना मामला –

जो लोग “सेकुलरिज़्म” के गुण गाते नहीं थकते, जो लोग “तथाकथित मॉडरेट इस्लाम”(?)की दुहाईयाँ देते रहते हैं, अब उन्हें डॉ शालिनी के साथ-साथ, मलेशिया के श्री एम मूर्ति के मामले (2006) को भी याद कर लेना चाहिये, जिसमें उसकी मौत के बाद मलेशिया की “शरीयत अदालत” ने कहा था कि उसने मौत से पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था। परिवार के विरोध और न्याय की गुहार के बावजूद उन्हें इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार दफ़नाया गया था। जी नहीं… एम मूर्ति, भारत से वहाँ नौकरी करने नहीं गये थे, मूर्ति साहब मलेशिया के ही नागरिक थे, और ऐसे-वैसे मामूली नागरिक भी नहीं… माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी, मलेशिया की सेना में लेफ़्टिनेंट रहे, मलेशिया की सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया था… लेकिन क्या करें, दुर्भाग्य से वह “हिन्दू” थे…। विस्तार से यहाँ देखें…https://en.wikipedia.org/wiki/Maniam_Moorthy

भारत की सरकार जो “अपने नागरिकों” (वह भी एक विधवा महिला) के लिये ही कुछ नहीं कर पाती, तो मूर्ति जी के लिये क्या करती…? और फ़िर जब “ईमानदार लेकिन निकम्मे बाबू” कह चुके हैं कि “देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है…” तो फ़िर एक हिन्दू विधवा का दुख हो या मुम्बई के हमले में सैकड़ों मासूम मारे जायें… वे अपनी नींद क्यों खराब करने लगे?

बहरहाल, पहले मुगलों, फ़िर अंग्रेजों, और अब गाँधी परिवार की गुलामी में व्यस्त, “लतखोर” हिन्दुओं को अंग्रेजी नववर्ष की शुभकामनाएं… क्योंकि वे मूर्ख इसी में “खुश” भी हैं…। विश्वास न आता हो तो 31 तारीख की रात को देख लेना…।

डॉ शालिनी चावला, मैं आपको दिल की गहराईयों से सलाम करता हूँ और आपका सम्मान करता हूँ, जिस जीवटता से आपने विपरीत और कठोर हालात का सामना किया, उसकी तारीफ़ के लिये शब्द नहीं हैं मेरे पास…
(…समाप्त)

12 COMMENTS

  1. माननीय सुरेश जी.
    आपका बहुत धन्याब्द अपने बहुत अच्छा लिखा इसके लिए मेरे पास सब्द नहीं अहि

    डॉ.शालिनी को दिल से सलाम

    तिवारी जी कभी MP में आकर देखे कांग्रेस की चाटुकारितअ भूल जाओगे क्योंकि माँ MP से हूँ और जनता हूँ की कांग्रेस सही है या BJP

  2. चिपलूनकर बताय की वो
    हनीफ के सुख से दुखी है
    या डॉक्टर परिवार के दुःख से

  3. सुरेश जी आप के राष्ट्रजागरण के प्रयासों हेतु आपको नमन.
    ये प्रयास बहुत जल्दी रंग लाकर रहेंगे. हर रात का सवेरा सुनिश्चित होता है. भारत की इस काली रात की पीछे आज कोई है तो वह है ”विदेशी ताकतों की एजेंट सोनिया कांग्रेस” जब तक सत्ता इनके हाथ में रहेगी, तब तक देशभक्तों की दुर्दशा होना निश्चित है. देश के दुश्मनों को सत्ता सौंप कर भले की उम्मीद करना एक पागलपन नहीं तो और क्या है. सारे देश का बिहार बना डालो. धो डालो इस सोनिया रूपी काले कलंक को देश की चादर पर जो लगा है. कमाल ही है अरबों रुपये की पुरातात्विक सामग्री की तस्करी इटली, यूनान को करेने वाली शक्सियत
    (श्री सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर शपथपत्र) को इस बिके मीडिया ने महात्मा गांधी जैसा त्यागी कहना शुरू कर दिया है और हम चुपचाप देख रहे हैं. उठो-जागो और देश के दुश्मनों के विरोध में आवाज़ बुलंद करो, भविष्य हमारे लिए इंतज़ार में है. सवेरा सामने है पर हम आलस छोड़ें तो सही.
    बस केवल सच को जानो और कहो, प्रचारित करो ”सुरेश चिपलूनकर” जी के तरह.
    आज का महाभारत हथियारों से नहीं सूचनाओं से लड़ा जाना है. राक्षस झूठ की धुंध फैला रहे हैं और हमें उनकी काट सच को जानकार व प्रचारित करके करनी है. विजय सुनिश्चित है और वह भी बहुत जल्द. वन्दे मातरम !

  4. भाई निखिल कौशिक जी न जावेद अख्तर काम आने वाला है और न ही डॉ जाकिर नाइक…जो करना है अब खुद ही करना पड़ेगा…पता नहीं आपने कैसे इन दो महानुभावों के नाम यहाँ इस पुण्य काम के लिए सुझाए…डॉ जाकीर नाइक की महानता(?) पर आप के लिए यहाँ कुछ लिंक दे रहा हूँ, आपको पता चल जाएगा की मूंह से ज़हर उगलने वाला यह आदमी हमारे लिए कोई काम का है भी या नहीं…
    https://www.youtube.com/watch?v=ZMAZR8YIhxI
    https://www.youtube.com/watch?v=6jYUL7eBdHg&feature=related
    https://www.youtube.com/watch?v=oAT0SzUF2Ng&feature=related
    https://www.youtube.com/watch?v=cEQRLYA6qas&feature=related
    ये तो कुछ भी नहीं है आप खुद youtube पर देख सकते हैं…youtube भरा पड़ा है इस प्रकार के videos से…
    और रही बात जावेद अख्तर की, तो इन महाशय का सच जानने के लिए आप सुरेश जी का ही ब्लॉग पढ़ लीजिये, आपको पता चल जाएगा कि जिसे आप इतना महान समझ रहे हैं वह किस औकात का है…
    रहा सवाल सुरेश जी द्वारा कांग्रेस पर लगाए गए आरोपों का, तो मेरे भाई कांग्रेस ही इन सब के लिए उत्तरदायी है तो आरोप तो उसी पर लगेंगे…उसके लिए मुसलमान केवल एक वोट बैंक है और हिन्दू एक मुर्ख प्राणी जो अपने ही पिछवाड़े पर लात मारने वाले के तलवे चाटता है, वरना क्या वजह रही कि डॉ. हनीफ के समय मनमोहन सिंह की रातों की नींद उड़ गयी किन्तु डॉ. शालिनी चावला के समय कान पर जूँ तक नहीं रेंगी…यह तो एक छोटा सा उदाहरण है, पूरी कहानी में ऐसे अनगिनत किस्से मिल जाएंगे जिससे कांग्रेस का हिन्दुद्रोह जगजाहिर हो जाएगा…

  5. आपकी यह बात सच है की सरकार का रुख दो तरफी है, किन्तु जहाँ ऑस्ट्रेलिया सरकार से माफ़ी की उम्मीद की जा सकती है वहां सौदी अरबिया से नहीं, वो लोग अलग किस्म के लोग हैं. इस प्रकार की समस्याओं का हल यदि है तो केवल यह की हम भारत के मुसलमानों से ये उम्मीद करें के वोह सौदी अरबिया या अन्य इस्लाम देशों के हुक्मरानों पर इस विषय पर चर्चाः करें और उन्हें बताएं की यह कोई भी मानवीय तरीका नहीं है, और न ही इस्लामिक तौर तरीका व् इन्साफ.

    प्रवक्ता के माध्यम से मैं आप से अनुरोध करता हूँ की आप यह दास्ताँ जावेद अख्तर साहेब (फिल्म कार) और डॉक्टर जाकी नायक (Peace TV preacher) तक पहुंचाएं और उनसे यह आग्रह करें की व़ोह सार्वजनिक रूप से इस प्रकार के अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध दुनिया भर में अभियान करें. सिर्फ कांग्रेस सर्कार को दोष देकर आप को अपने कर्त्तव्य की इतिश्री नहीं कर लेनी चाहिए.
    इस विषय पर तेजिंदर शर्मा की एक मार्मिक कहानी है ‘डिबरी टाईट’ . परन्तु यह केवल कहानी और रिसालों की विषय वास्तु बन कर रह जाये तो फिर प्रवक्ता फिर कैसा प्रवक्ता?

  6. इन सेकुलरिस्‍टों में इंसानियत है कहाँ ये तो सिर्फ वोट और नोट को जानते हैं – इन्हें मुसलमानों के वोट चाहियें और देश को लूटने के लिए सेकुलर मुखौटा !

  7. मैं भी आपकी मानवीय संवेदनाओं से सराबोर लेखन कला पर मुग्ध हूँ .कभी समय मिले तो मध्यप्रदेश ,कर्णाटक की गरीब हिन्दू जनता और डम्फर वाज -शिवराजों,जमीन्खोर येदुराप्पाओं के कुकर्मों पर भी नजरे इनायत करें .

  8. आदरणीय सुरेश जी आपको नमन है | लेख पढने के बाद दिल में ऐसा गुबार उठा कि शब्द नहीं मिल रहे हैं, लगता है कि विश्व की सभी सरकारें हिन्दुओं तथा हिंदुत्व को मिटाने का लगातार प्रयास कर रही है …..

    बहुत बहुत धन्यवाद्

  9. मुझे यह लेख सटीक & सही लगा. मेरे पास शब्द नहीं है मैं क्या लिखूं .

    और अंत में आपने जो शुभकामना दिया है, वह शुभकामना नहीं हिन्दुओ की पूरी इतिहास लिखा दिया आपने.

  10. सुरेश जी आप इसी प्रकार भारत माता की सेवा करते रहें।
    दीर्घायुरारोग्य के धनी रहे।
    लेखन की धार, और जीवन में ऊर्जा –दोनो शनैः शनैः चंद्र की भाँति वर्धमान रहे।
    डटे रहे, राष्ट्र धर्म पर विपदाओं में सीना ताने।

    धन्यवाद।

  11. आदरणीय सुरेश भाई सच में दिल को झकझोर देने वाला लेख…कहने को कुछ नहीं बचा, शब्द ही नहीं हैं, क्रोध और दुःख एक साथ तडपा रहे हैं…अब तो इस कांग्रेस का करना ही पड़ेगा…

    सच में इस बहादुर महिला को दिल से सलाम…यही हमारे महान भारत की महान महिला है…

    सस्ती टीआरपी के भूखे मीडिया वाले इस महिला को क्यों कवर करने लगे…यदि आप नहीं बताते तो हमें तो पता भी नहीं चलता…आप ने जहाँ से भी या जिस किसी से भी यह खबर लेकर हुम तक पहुचाई है वह महत्वपूर्ण है, आपकी मेहनत व ईमानदारी महत्वपूर्ण है…सुरेश भाई आपको भी दिल से सल्यूट…

    इस महत्वपूर्ण सूचना की लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद…

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