प्रोफेसर महावीर सरन जैन
द्रविड़ भाषा-परिवार:
इस परिवार की भाषाएँ मुख्य रूप से नर्मदा एवं गोदावरी नदियों के दक्षिणी भाग से लेकर कन्याकुमारी तक बोली जाती हैं। इस परिवार की भाषाएँ उत्तरी श्रीलंका, पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान के सीमान्त भूभाग (मुख्यतः बिलोचिस्तान) तथा भारत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा के कुछ भागों में भी बोली जाती हैं।
द्रविड़ परिवार के भौगोलिक स्वरूप पर विचार –
टी.पी.मीनाक्षीसुन्दरन् ने तमिल भाषा का इतिहास पुस्तक में द्रविड़ परिवार की भाषाओं के भौगोलिक क्षेत्र के सम्बन्ध में निम्न टिप्पणी की है:
जहाँ तक द्रविड़ भाषी क्षेत्र का प्रश्न है, वह ब्राहुई क्षेत्र को छोड़कर, लगातार है – दक्षिण भारत और श्रीलंका का उत्तरी भाग। तमिल, मलयालम, कन्नड़ और तेलुगु – ये साहित्यिक भाषाएँ समुद्रतटवर्ती प्रदेशों और उनके आन्तरिक भागों में बोली जाती हैं। यह एक विचित्र संयोग है कि ऐसी द्रविड़ भाषाएँ, जिनका इतिहास नहीं मिलता, भौगोलिक दृष्टि से ऊँचे क्षेत्रों में ही बोली जाती हैं – जैसे ब्लूचिस्तान के पठार पर, उत्तर भारत और दकन के मध्यवर्ती इलाके में और दक्षिण में छोटे-छोटे पहाड़ी भागों में। तमिल भाषा का क्षेत्र वर्तमान मद्रास राज्य (तमिलनाडु) है। मलयालम केरल में बोली जाती है, तेलुगु आन्ध्र प्रदेश में और कन्नड़ मैसूर में। किन्तु इन सभी क्षेत्रों के समीपवर्ती प्रदेश द्विभाषी हैं। मद्रास के उत्तर में तेलुगु का क्षेत्र पड़ता है और पश्चिम में कन्नड़ और मलयालम का। तुलु मंगलौर के आसपास बोली जाती है। कोडगु कुर्ग के निवासियों की मातृभाषा है, जो अब मैसूर राज्य का अंग है। बड़गा, कोटा और टोडा नीलगिरि के क्षेत्रों में बोली जाती हैं। तेलुगु प्रदेश के एक ओर उड़िया भाषी क्षेत्र पड़ता है और दूसरी ओर मराठी भाषी क्षेत्र। तुलुगु के ही पड़ोस में गोंडी का क्षेत्र है। कुइ और कोण्डा उस पठार पर बोली जाती हैं, जो महानदी घाट के दोनों ओर पड़ता है। कोलामी और परजी मध्यप्रदेश और हैदराबाद में बोली जाती हैं। कन्नड़ प्रदेश मराठी, कोंकणी, तेलुगु और तमिल भाषी क्षेत्रों से घिरा हुआ है। गोंडी की सीमाओं पर तेलुगु, कोलामी, मुण्डा और मराठी बोली जाती हैं। यह अनोखा तथ्य है कि साहित्यरहित द्रविड़ भाषाओं को बोलने वाले पहाड़ों पर मिलते हैं। छोटा नागपुर में बोली जाने वाली गदबा, कुरुख या ओरांव और राजमहल में बोली जाने वाली माल्तो के अड़ोस-पड़ोस में मुण्डा भाषाएँ व्याप्त हैं। ब्राहुई पश्चिमी पाकिस्तान के पहाड़ी इलाकों में व्यवहृत होती है।
(दे. तमिल भाषा का इतिहास, पृ. 16-17 – टी. पी. मीनाक्षीसुन्दरन् (अनुवादक: डॉ. रमेशचन्द्र महरोत्रा) (मध्यप्रदेश ग्रन्थ अकादमी, भोपाल, प्रथम संस्करण, (1984))
डॉ. मीनाक्षीसुन्दरन् ने द्रविड़ परिवार की निम्न बीस भाषाओं का उल्लेख किया है –
1.तेलुगु 2. तमिल 3. कन्नड़ 4. मलयालम 5. तुलु 6. कुरुख 7. कुइकुवि 8. गोंडी 9. बडगा 10. कोडगु 11. गदबा 12. इरुक 13. कोलामी 14. कुरवा 15. माल्तो 16. परजी 17. कोया 18. कोण्डा 19. नइक्कदी और नकी पोदी 20. कोटा और टोडा
(दे. वही, पृष्ठ 21)
द्रविड़ परिवार की इन बीस भाषाओं में से प्रथम चार भाषाएँ प्रधान हैं। उनमें साहित्य है और अब तो उनकी भौगोलिक सीमाओं का राज्यवार निर्धारण भी हो गया है। शेष 16 भाषाएँ साहित्यरहित हैं और ऐसी भाषाएँ बोलने वाले प्रधान रूप से पहाड़ों एवं जंगलों में निवास करते हैं।
डॉ. भक्त कृष्णमूर्ति ने द्रविड़ परिवार की भाषाओं का वर्गीकरण भौगोलिक एवं भाषावैज्ञानिक आधार पर किया है:
(क) दक्षिण की द्रविड़ भाषाएँ:
तमिल, मलयालम, टोडा, कोटा, कन्नड़, कोडगु, इरुक, कोरगा और तुलु। ( कुरुबा, कसबा और कडा इन तीन बोलियों की स्थिति स्पष्ट नहीं है)।
(ख) दक्षिण-केन्द्रीय द्रविड़ भाषाएँ:
तेलुगु, गोंडी (कोया समेत), कोंड, कुई, कुवि, पेंगो, मण्डा और अवि (या इण्डि)।
(ग) केन्द्रीय द्रविड़ भाषाएँ:
कोलामी, नाइकि, परजी और गदबा (ओलारि और कोणकोर-उपबोलियाँ हैं)।
(घ) उत्तर की द्रविड़ भाषाएँ:
कुरुख, माल्तो और ब्राहुई ।
कोष्ठकों में दी गई बोलियों को छोड़ दें तो कुल 24 भाषाएँ हैं और कोष्ठकों की बोलियों को जोड़ दें तो संख्या 29 तक पहुँच जाती है।
( XI All India Conference of Dravidian Linguists, P.25, Osmania University, Hyderabad, Souvenir, June 5-7, 1981 )
डॉ. बी. रामकृष्ण रेड्डी ने साहित्येतर द्रविड़ भाषाओं का सर्वेक्षण (1965-1980 तक) किया । तेलुगु के ही एक अन्य विद्वान डॉ. पी.एस. सुब्रह्मण्यम् ने अपनी पुस्तक ‘द्राविड़ भाषलु’ (1977 ईस्वी में प्रकाशित) में द्रविड़ भाषाओं का विकास क्रम प्रस्तुत किया। डॉ. कर्णराज शेषगिरिराव ने इसका हिन्दी में सारांश प्रस्तुत करते हुए “ द्रविड़ भाषाओं का वर्गीकरण” लेख लिखा।
(सम्मेलन पत्रिका, पृष्ठ 84-86, भाग 67, संख्या 1-2, पौष ज्येष्ठ, शक 1902-03, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग)
डॉ. पी0एस0 सुब्रह्मण्यम् का वर्गीकरण आदि / आद्य द्रविड़ भाषा की संकल्पना पर आधारित है और वे उस आदि / आद्य द्रविड़ भाषा को भी तीन भागों में विभाजित करते हैं। यह विभाजन भौगोलिक आधार पर है – 1. दक्षिण द्रविड़ वर्ग की भाषाएँ 2. मध्य द्रविड़ वर्ग की भाषाएँ 3. उत्तर द्रविड़ वर्ग की भाषाएँ । उन्होंने प्रत्येक वर्ग के लिए आदि / आद्य द्रविड़ भाषा को आधार माना है और तदनन्तर आदि / आद्य द्रविड़ को तीन भागों ( दक्षिण, मध्य और उत्तर) में विभाजित किया है ।़
1. आदि / आद्य दक्षिण द्रविड़ भाषाओं का वर्गीकरण:
तमिल कन्नड
तमिल 4.तुळु @तुलु 5.मानक कन्नड 6. अन्य
तमिल तोडा
तमिल $ 3. कोडगु @ कूरगी
मलयालम
1.तमिल 2. मलयालम
2.. आदि आद्य मध्य द्रविड़ वर्ग की भाषाओं का वर्गीकरण:
तेलुगुq $ कुवि @गौंड आदि कोलामी $ पर्जी
7. तेलुगु आदि गोंड $ कुवि 14.कोलामी 15.नायकी 16.पार्जी 17.गदबा
8. गोंडी 9. कोंड @ खोंड 10.पेंगो 11. मंड 12. कुवि 13.कुवि
3. आदि द्रविड़ वर्ग की भाषाओं का वर्गीकरण आद्य उत्तर
आदि @ आद्य कुरुख 20. ब्राहुई
18. कुरुख @ ओरॉव 19. माल्तो
अभी तक यह मान्यता रही है कि उत्तर भारतीय आर्य जाति के तथा दक्षिण भारतीय द्रविड़ जाति के हैं। इधर कोशकीय तथा आणविक जीव वैज्ञानिक अध्ययन इस मत का प्रतिपादन कर रहे हैं कि उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय निवासियों के पूर्वजों का जेनेटिक अंश एक है। यह हमारा विषय नहीं है मगर हम भारतीय भाषाओं के संदर्भ में भी यह दावे के साथ कह सकते हैं कि द्रविड़ शब्द की सार्थकता तथा इस मान्यता कि आर्य परिवार की भाषाएँ उत्तर भारत में एवं द्रविड़ परिवार की भाषाएँ दक्षिण भारत में बोली जाती हैं- के सम्बन्ध में पुनर्विचार आवश्यक है।
पादरी राबर्ट ए. काल्डबेल ने इस परिवार की सभी भाषाओं को ‘द्रविड़’ नाम से पुकारा और यह नाम प्रचलित हो गया। द्रविड़ शब्द कर्नाटक, तेलंगाना एवं आन्ध्र आदि क्षेत्रों का बोधक नहीं था। स्कन्द पुराण में वर्णित है कि – 1․ कर्णाट, 2․ तेलंगा, 3․ गुर्ज्जरा 4․ आन्ध्र 5․ द्रविड़ा पंच विंध्य दक्षिणवासिनः। इस प्रकार ‘द्रविड़‘ शब्द मूलतः एक क्षेत्र का वाचक है , इस परिवार की सभी भाषाओं का वाचक नहीं है। इस परिवार की ब्राहुई, माल्तो, कुरुख/ओरॉब दक्षिण भारत में नहीं बोली जाती। ब्राहुई तो पाकिस्तान-अफगानिस्तान के सीमान्त क्षेत्र ‘ब्लूचिसतान‘ में बोली जाती है। इसी प्रकार श्रीलंका के उत्तरी भाग की सिंधली भाषा आर्य परिवार की भाषा है। इसी कारण यह धारणा एवं मान्यता कि आर्य परिवार की भाषाएँ उत्तर भारत में एवं द्रविड़ परिवार की भाषाएँ दक्षिण भारत में बोली जाती हैं- वैज्ञानिक एवं तर्क संगत नहीं है।
भारत की जनसंख्या में द्रविड़ भाषाओं के बोलने वालों का प्रतिशत 22.53 है। द्रविड़ परिवार की मातृभाषाओं की संख्या 153 है जिसमें से 17 भाषाएँ प्रमुख हैं। इनमें तमिल, तेलुगु, मलयालम एवं कन्नड़ परिगणित भाषाएँ हैं, शेष 13 भाषाएँ अपरिगणित हैं।
द्रविड़ परिवार की भाषाओं का एककालिक वर्गीकरणः
1 | 2 | 3 | 4 |
दक्षिणी | दक्षिण-मध्य | मध्य | उत्तर एवं पूर्व |
1. मलयालम 2. तमिल 3. कन्नड़ 4. कूरगी/कोडगु 5. तुलु | 1. तेलुगु 2. जातपु 3. कोलामी 4. कोंडा 5. कोया | 1. गोंडी 2. खोंड /कोंध 3. किसन 4. कुई 5. पारजी |
2.माल्तो |
द्रविड़ परिवार की भारतीय भाषाओं की रूपरेखाः
(क) परिगणित –
क्रम सं0 | भाषा का नाम | भाषा के बोलने वालों की संख्या | प्रमुख राज्य / राज्यों के नाम |
1. | कन्नड़ | 32,753,676 | कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु |
2. | मलयालम | 30,377,176 | केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, लक्षद्वीप |
3. | तमिल | 53,006,368 | तमिलनाडु,कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह |
4. | तेलुगु | 66,017,615 | आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक,महाराष्ट्र,पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह |
(ख) अपरिगणित
| |||
5. | कूरगी@कोडगू | 97,011 | कर्नाटक |
6. | गोंडी | 2,124,852 | मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र |
7. | जातपु | 25,730 | आन्ध्र प्रदेश |
8. | खोंड @ कोंध | 220,783 | ओड़िशा |
9. | किसन | 162,088 | ओड़िशा |
10. | कोलामी | 98,281 | महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश |
11. | कोंडा | 17,864 | आन्ध्र प्रदेश |
12. | कोया | 270,994 | आन्ध्र प्रदेश, ओडि़शा |
13. | कुई | 641,662 | ओड़िशा |
14. | कुरुख@ओरांव | 1,426,618 | बिहार,झारखण्ड,मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडि़सा |
15. | माल्तो | 108,148 | बिहार,झारखण्ड |
16. | पारजी@दुरुवा | 44,001 | छत्तीसगढ़ |
17. | तुलु | 1,552,259 | कर्नाटक, केरल |
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https://en.wikipedia.org/wiki/Dravidian_languages
https://www.britannica.com/EBchecked/topic/171083/Dravidian-languages
https://en.wikipedia.org/wiki/Indo-Aryan_languages
https://www.britannica.com/EBchecked/topic/286348/Indo-Aryan-languages